भारत का नव वर्ष कब आता है। ( when does new year of india come)

भारत का नव वर्ष कब आता है। ( when does new year of india come)

हिंदू नव वर्ष या नव संवत्सर का पर्व वर्ष के प्रथम दिन मनाया जाता है। यह पर्व हिंदू कैलेंडर में चैत्र शुक्ल प्रथम तिथि को मनाया जाता है और इस तिथि को गुड़ी पड़वा नाम से भी जाना जाता है। हिंदू नव वर्ष का पर्व विभिन्न भागों में भारत में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में यह बहुत ज्यादा मान्यता प्राप्त है। हिंदू नव वर्ष का पर्व भारतीय संस्कृति और त्योहारों की भूमिका में अहम भूमिका निभाता है। इस दिन को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन घरों को साफ-सुथरा करके नए संवत्सर का स्वागत किया जाता है।


इस पर्व को मनाने की परंपरा कई साल पुरानी है और इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म के सभी प्रमुख स्थानों में मनाया जाता है और इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव, माता लक्ष्मी और माता दुर्गा की पूजा की जाती है।हिंदू नव वर्ष का पर्व भारतीय धर्म और संस्कृति में एक अहभव्य रंग है। इस दिन लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और एक दूसरे के साथ मिठाई खाते हैं। इस पर्व का महत्व उन्नति, समृद्धि और सुख का प्रतीक होने के कारण होता है। इस पर्व का इतिहास काफी पुराना है और इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कहानी है। इसके अनुसार, भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता जी को रावण के द्वारा हरण कर लिया था।



भगवान राम ने अपनी वानर सेना के साथ लंका पर हमला किया और रावण को मार दिया। भगवान राम और सीता जी ने फिर अयोध्या लौटकर राज्य सम्हाला। लोगों ने इस मौके पर बड़ा उत्साह दिखाया और भगवान राम और सीता जी के आगमन का स्वागत किया।इस दिन को अपने विविध रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में, लोग इस दिन के अवसर पर गुड़ी को फहराते हैं जो उनके घर के छत पर लगाई जाती है। गुड़ी के रंगों में कल्पना और उमंग छुपे होते हैं। इस रंगीन बाँध के संग नाच और गाने का कार्यक्रम होता है जो लोगो को बहुत अधिक मजबूत करता है।पूर्वोत्तर भारत में, नववर्ष को बिहू नाम से जाना जाता है और यह तीन अलग-अलग अवसरों में मनाया जाता है - बोहाग बिहू, खाट बिहू और माघ बिहू। ये सभी अवसर उत्साहपूर्ण और रंगीन होते हैं और लोगों द्वारा भोजन और मिठाई के द्वारा मनाए जाते हैं।दक्षिण भारत में, नववर्ष को पुत्तंदु नाम से जाना जाता है। इस दिन को तमिल नाडु में पूजा व वेल्लम के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर, घरों को सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने परिवार के साथ भोजन करते हैं।इस दिन के बाद एक नया साल शुरू होता है जो बहुत से लोगों के लिए नई शुरुआत या उत्साह का कारण बनता है।



लोग इस अवसर पर अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संकल्प लेते हैं और नए शुरुआतों के लिए तैयार हो जाते हैं।इस नए साल का उत्सव हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है।
इस दिन का महत्व हमें यह सिखाता है कि जीवन के हर अवसर को उत्साह और आनंद से ग्रहण करना चाहिए और हमें सभी लोगों के साथ खुशहाली से रहना चाहिए। इस दिन को मनाकर हम अपने जीवन में एक नई शुरुआत कर सकते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। नववर्ष का उत्सव हमें एक सकारात्मक आदर्श देता है और हमें अपने जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए प्रेरित करता है।इस अवसर पर, हमें अपने परिवार, दोस्तों और समूह के साथ मिलकर नववर्ष के उत्सव का आनंद लेना चाहिए। हमें दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए। यह हमें समाज के लिए एक बेहतर और सकारात्मक जगह बनाने में मदद करेगा।




आखिरकार, नववर्ष का उत्सव हमें एक नयी शुरुआत करने का मौका देता है और हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है। हमें अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संकल्प लेना चाहिए और हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए। नववर्ष का उत्सव हमें जीवन के हर पहलू पर खुशी और उत्साह बनाए रख और हमें अपने साथी, परिवार और समूह के साथ सहयोग और समरसता का भाव बनाए रखना चाहिए। नववर्ष का उत्सव हमें एक नई शुरुआत और नयी ऊर्जा का संदेश देता है जो हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।इसलिए, हमें नववर्ष के उत्सव का महत्व समझना चाहिए और इसे मनाने के लिए तैयार होना चाहिए। यह एक समाज की शांति, समृद्धि और सकारात्मक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है।इस अंत में, मैं इस लेख के साथ नववर्ष के उत्सव के बारे में लिखा गया है जो हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है। नववर्ष के इस उत्सव के द्वारा हमें सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का संदेश मिलता है। नववर्ष का उत्सव हमें समाज के लिए अच्छा करने के लिए प्रेरित करता है और हमें जीवन के हर पहलू पर उत्साह और आनंद से ग्रहण करना चाहिए।

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